Deoria News:देवरिया टाइम्स। सदर ब्लॉक के तिलई बेलवां निवासी कमलेश कुमार मिश्र ने लगभग दो साल पहले खेती में निवेश करने की ठानी तो लोगों ने विरोध किया और उन्हें कहीं और पैसा खर्च करने की सलाह दी। खेती-किसानी में निवेश को घाटे का सौदा मानने वाले अधिकांश ग्रामीणों का मानना था कि खेत में किये जाने वाले निवेश से लागत निकलना ही मुश्किल होता है, लाभ दूर की कौड़ी है। लेकिन, मजबूत इरादों के साथ सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले कमलेश ने लगभग 40 लाख रुपये की लागत से अपने एक एकड़ खेत में पॉलीहाउस की स्थापना कि और रंग-बिरंगे शिमला मिर्च तथा बीजरहित खीरे की खेती शेडनेट में प्रारंभ की।सरकारी योजनाओं से उन्हें लागत का पचास प्रतिशत अनुदान भी मिला। पॉलीहाउस स्थापना के पहले ही वर्ष उन्होंने लगभग 30 लाख रुपये के मूल्य के लाल, पीला तथा हरे रंग के शिमला मिर्च तथा बीज रहित खीरे का विक्रय किया।
जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने बुधवार को उनके पॉलीहाउस का निरीक्षण किया।
कॉमर्स ग्रेजुएट कमलेश ने जिलाधिकारी को बताया कि उन्होंने विभिन्न संचार माध्यमों से सुना था कि पॉलीहाउस के माध्यम से बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन कर मुनाफा कमाया जा सकता है। उन्होंने पॉलीहाउस के विषय में जानकारी हासिल करने की ठानी और राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई गांवों का दौरा किया और इसकी क्रियाविधि को बारीकी से समझा। इसके बाद उन्होंने भुजौली कॉलोनी स्थित उद्यान विभाग के कार्यालय में संपर्क किया जहां उन्हें सरकार की योजनाओं की जानकारी हुई। इसके बाद उन्होंने उद्यान विभाग से सूचीबद्ध कंपनी सफल ग्रीन हाउस के माध्यम से पॉलीहाउस की स्थापना कराई। उन्होंने बताया कि उनका पॉलीहाउस ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर एवं फॉगर की सुविधा से युक्त है। खीरे का उत्पादन मल्च तकनीकी से कर रहे हैं, जिसमें जमीन पर अल्ट्रावायलेट प्रोटेक्टेड सीट बिछाया जाता है और निश्चित दूरी पर खीरे की बुआई की जाती है। इस विधि में निराई-गुड़ाई की जरूरत नहीं होती है। कमलेश ने बताया कि पास-पड़ोस के लोग उनके पॉलीहाउस को देखने आते हैं। क्षेत्र में जागरूकता बढ़ी है।
जिला उद्यान अधिकारी रामसिंह यादव ने बताया कि पॉलीहाउस की स्थापना पर उद्यान विभाग द्वारा पचास प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। लाभार्थी 500 वर्ग मीटर से 4000 वर्ग मीटर अर्थात एक एकड़ के क्षेत्र में पॉलीहाउस की स्थापना कर सकते हैं। एक एकड़ के पॉलीहाउस की स्थापना की लागत 40 लाख रुपये आती है, जिसका 50 प्रतिशत बतौर अनुदान मिलेगा। साथ ही पॉलीहाउस की स्थापना के लिए बैंक द्वारा लोन भी दिया जाता है।
जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि पॉलीहाउस में फसलों को नियंत्रित जलवायु परिस्थितियों में उगाया जाता है। इससे किसी भी सब्जी, फूल या फल का पूरे साल उत्पादन हासिल किया जाता है। चूंकि पॉलीहाउस में कवर्ड स्ट्रक्चर होता है, अतः बारिश, ओलावृष्टि इत्यादि का दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है। जनपद में सौ पॉलीहाउस स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर बदल जाएगी।