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Deoria News: देवरिया टाइम्स। वर्तमान में रबी सीजन की फसलों यथा आलू, दलहन एवं तिलहन की बुआई का कार्य तेजी से किया जा रहा है, जिसके कारण फॉस्फेटिक उर्वरको की मांग कृषकों में तीव्र हुई। कृषकों को निर्धारित दर पर उनकी जोत के अनुसार संस्तुत मात्रा में गुणवत्तायुक्त फास्फेटिक उर्वरको की उपलब्धता सुनिश्चित कराना एवं जमाखोरी, कालाबाजारी, निर्धारित दर से अधिक दरों पर बिक्री तथा अन्य उत्पादों की टैगिंग पर अंकुश लगाना शासन की प्राथमिकता है।


जिलाधिकारी अखण्ड प्रताप सिंह ने उक्त के दृष्टिगत आवश्यक निर्देश दिया है। उन्होंने निर्देश दिया है कि जनपद स्तरीय समिति के द्वारा साप्ताहिक बैठक आयोजित कर नियमित रूप से समीक्षा की जाय एवं जनपद में उर्वरक के आवक होने पर विभिन्न फुटकर, रिटेल विक्रेताओं में वितरण जिलाधिकारी के संज्ञान में लेकर किया जाए। वर्तमान में प्रयोग होने वाली मुख्य फॉस्फेटिक उर्वरकों (डी०ए०पी० / एन०पी०के०) की बिकी कृषकों को निर्धारित मूल्य पर अनिवार्य रूप से सुनिश्चित कराई जाय। यदि कोई उर्वरक विक्रेता अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक मूल्य पर बिक्री करता पाया जाय तो उसके विरूद्ध उर्वरक (अकार्बनिक कार्बनिक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश 1985. आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 एवं उर्वरक परिसंचलन (नियंत्रण) आदेश 1973 में निहित प्राविधानान्तर्गत विधिक कार्यवाही की जाय।


उर्वरक विक्रेताओं के द्वारा फॉस्फेटिक उर्वरकों के साथ जबरन किसी भी प्रकार के अन्य उत्पादों की टैगिंग करके बिक्री न की जाय। ऐसे उर्वरक विनिर्माता / प्रदायकर्ताओं पर सतर्क दृष्टि रखी जाय जिनके द्वारा किसी थोक उर्वरक विक्रेता को प्रमुख उर्वरकों की आपूर्ति दिये जाने हेतु कम प्रचलित उर्वरक / उत्पाद क्रय करने हेतु बाध्य किया जाता है तो उनके विरूद्ध भी विधिक कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाय। जनपद में आपूर्तित एवं उपलब्ध उर्वरकों का कृषको के मध्य उनकी कृषि जोत एवं फसल की निर्धारित संस्तुतियों के अनुसार उनके आधार कार्ड के आधार पर वितरण सुनिश्चित किया जाए।फुटकर उर्वरक विक्रेताओं के साथ थोक उर्वरक विक्रेताओं एवं बफर स्टाकिस्टों का सघन निरीक्षण किया जाए तथा सुनिश्चित किया जाए कि कहीं थोक उर्वरक विक्रेता स्थानीय स्तर पर अपने पास उर्वरक का अनावश्यक भण्डारण कर उर्वरकों का कृत्रिम अभाव तो उत्पन्न नही कर रहे है, तथा अधिक भण्डारित स्टाक को बाजार में कृषकों के लिए बिक्री हेतु अविलम्ब अवमुक्त किया जाना सुनिश्चित किया जाए तथा दोषियों के विरूद्ध सुसंगत प्राविधानों के अन्तर्गत विधिक कार्यवाही सम्पादित किया जाय। जनपद के निजी क्षेत्र में डी०ए०पी० निरन्तर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहती है। समस्त प्रकार की डी०ए०पी० में मानक के अनुसार समान तत्व उपलब्ध रहते है। कृषकों को सहकारिता क्षेत्र के साथ साथ निजी क्षेत्र के डी०ए०पी० क्रय करने हेतु जागरूक किया जाय। प्रत्येक उर्वरक ब्यवसायी के स्तर पर स्टॉक पजिंका, विकय पंजिका तथा रसीद अनिवार्य रूप से रखी जाय या ऐसे प्रारूप में डिजिटल स्टॉक रजिस्टर जो तिथिवार स्टॉक स्थिति, आरम्भिक अवशेष, दिन के दौरान प्राप्तियाँ, दिन के दौरान विक्रय और अतिंम स्टाक को स्पष्टतः प्रदर्शित करता हो, का होना आवश्यक है। जनपद के थोक / फुटकर उर्वरक विक्रेताओं तथा उर्वरक विकी केन्द्रो पर उर्वरकों की उर्वरकवार बिक्री दर तथा स्टॉक का अंकन रेट एवं स्टॉक बोर्ड पर प्रतिदिन अंकित किया जाय। पोर्टल पर डी०ए०पी० एवं यूरिया उर्वरक के टॉप 20 बायर्स की प्रत्येक माह जांच में अनियमित वितरण पाये जाने चाले प्रकरणों में दोषी के विरूद्ध नियमानुसार उर्वरक (अकार्बनिक, कार्बनिक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश 1985, आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 एवं उर्वरक परिसंचलन (नियंत्रण) आदेश 1973 में निहित प्राविधानान्तर्गत विधिक कार्यवाही की जाय। उन्होंने यह भी आगाह किया है कि उपरोक्त निर्देशो का पालन कड़ाई से सुनिश्चित किया जाय।

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