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Deoria News: bhatni News
देवरिया टाइम्स।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भटनी देवरिया में रुग्णता एवम्  दिव्यांगता प्रबंधन कार्यक्रम के तहत 19 चिन्हित फाइलेरिया ग्रस्त रोगियों में से 18 को एमटीपी किट का वितरण किया गया प्रभारी स्वास्थ्य निरीक्षक प्रमोद कुमार मिश्र के देखरेख में किट का वितरण कराया गया ,जिसके द्वारा रोगियों को साफ-सफाई, औषधि प्रयोग, व्यायाम से रोकथाम हेतु डेमो का करते हुए बताया गया कि इस लाइलाज रोग के साथ बिना मानसिक तनाव के स्वस्थ जीवन कैसे जिया जाएगा। इसके लिए रोगी को  नियमित साफ-सफाई, नियमित व्यायाम, समय-समय पर आवश्यक दवा का प्रयोग करेंगे, जिससे यह बीमारी जिस स्तर तक पहुंच गई है उससे आगे ना बढ़े।


              फाइलेरिया दुनिया भर में विकलांगता और विरूपता बढ़ाने वाला सबसे बड़ा रोग है (इसे एक संक्रमण के रूप में भी देखा जाता है)। यह एक पैरासाइट डिजिट है जो कि धागे के समान दिखाई देने वाले निमेटोड कीड़ों (Nematode Worms) के शरीर में प्रवेश करने की वजह से होती है। निमेटोड कीड़े परजीवी मच्छरों की प्रजातियों (Wuchereria Bancrofti or Rugia Malayi) और खून चूसने वाले कीटों के जरिए इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इन निमेटोड कीड़ों में फिलेरी वुचरेरिअ बैंक्रोफ्टी (Filariae-Wuchereria Bancrofti), ब्रूगिआ मलाई (Brugia Malayi) और ब्रूगिआ टिमोरि (Brugia Timori) शामिल है। फाइलेरिया मुख्य रूप से वुचरेरिअ बैंक्रोफ्टी (Wuchereria Bancrofti) परजीवी कीड़े की वजह से होता है।

दुनिया भर में फाइलेरिया मुख्य रूप से गरीब लोगों और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है। फाइलेरिया को फीलपाँव (Elephantiasis), श्लीपद (slippad) के नाम से जाना जाता है। भारत में इसे सामान्य तौर पर हाथी पाँव के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस रोग में व्यक्ति का पाँव हाथी के पाँव की तरह हो जाता है। भारत सरकार का भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Indian Ministry of Health and Family Welfare) इस रोग से लड़ने वालों के लिए मुफ्त उपचार प्रदान करता हैं। अकेले भारत में ही करोड़ों लोगों को फाइलेरिया होने का जोखिम हैं।
      फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो मच्छर के काटने से होती है और इसके लिए प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेश की एक्टिविटी की जाती है जिससे लोगों को निशुल्क दवा घर घर जाकर आशा एवम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा खिलायी जाती हैं, जिससे इस रोग का वैक्सीनेशन किया जाता है। यदि हम लगातार 4 से 5 वर्षों तक फाइलेरिया की दवा का समय पर सेवन करते रहे प्रत्येक वर्ष में एक बार तो इस बीमारी से ग्रसित नहीं होंगे।


             यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि वह फाइलेरिया ग्रस्त है , तो वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भटनी में वेक्टर वार्न विभाग में अपनी जांच कराएं और इसका निशुल्क उपचार उपलब्ध है।  आज के कार्यक्रम में दिग्विजय नाथ तिवारी, सहायक शोध अधिकारी, दीप नारायण पाण्डेय सी फार से डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर, देशदीपक सिंह पाथ से डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर, रानी यादव बीसीपीएम, आशा कार्यकत्री सीमा देवी कमला देवी, माधुरी सिंह, शांति देवी, तेतरा देवी, दुर्गावती देवी, मंजू मिश्रा, रानी गिरी आदि मौजूद रही हैं।

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