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वाह डॉक्टर साहब वाह ✍️

♦देवरिया के सावित्री देवी पत्नी डा अशोक राय निवासी सोन्दा, तप्पा सुरौली, परगना सलेमपुर मझौली, तहसील व जिला देवरिया का निगरानी वाद हुआ निरस्त।

♦न्यायालय अपर जनपद न्यायाधीश देवरिया ने 23 अगस्त 2024 को आदेश जारी करते हुए डा अशोक राय का निगरानी वाद निरस्त कर दिया ।

♦पूर्व में सोंदा के इस खलिहान की जमीन का पट्टा न्यायालय जिलाधिकारी अनिता श्रीवास्तव देवरिया द्वारा वाद संख्या 194/2007 ता0 फै0 20 जुलाई 2016 प्राप्त 5 अगस्त 2016 ग्राम पंचायत सोन्दा बनाम बुद्ध आदि अन्तर्गत धारा 198-4 ज0वि0 अधिनियम – उपर्युक्त विवेचना के आधार पर वादी ग्राम पंचायत सोन्दा तप्पा सुरौली परगना सलेमपुर मझौली त० व जिला देवरिया द्वारा प्रस्तुत वाद में विधि अनुकूल होने के कारण स्वीकार किया जाता है तथा आराजी संख्या 22/0.72 डिसमिल के बावत् स्वीकृत पट्टा जो खलिहान की भूमि है तथा दिनांक 1 मार्च 1983 को स्वीकृत किया गया है, के बावत् स्वीकृत पट्टा दिनांक 1 मार्च 1983 विधि अनुकूल न होने के कारण निरस्त कर दिया गया था।

👉लेकिन फिर इस मामले में पुनः तहसीलदार देवरिया वाद संख्या T202105200108058/ 13 जुलाई 2021 को ग्राम सोन्दा तप्पा सुरौली खतौनी सन् 1428-1433 फ0 के खाता संख्या 25 पर मूलखाते पर दर्ज खातेदार अशोक राय निवासी ग्राम के साथ श्रीमती शुशीला देवी पत्नी फूलवदन निवासी रामनाथ देवरिया का नाम अंकित हो का आदेश दे दिया, लेकिन 2021 से ही मामला वही रुका गया और इसके बाद सावित्री देवी अशोक राय द्वारा 2022 में निगरानी वाद दाखिल कर दिया गया था जो 23 अगस्त 2024 को निरस्त कर दिया गया।

✍️सबसे महत्वपूर्ण विषय यह हैं की इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका संख्या 578 सन 2019 श्रवण कुमार सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं दो अन्य आदेश की तिथि 14 मार्च 2019 के द्वारा दिए गए आदेश के बाद भी आरक्षित भूमि आराजी नंबर 22 रकवा 0.72 डिसमिल ग्राम – सोंन्दा तप्पा सुरौली परगना सलेमपुर मझौली तहसील एवं जिला देवरिया उत्तर प्रदेश पर दबंगों /अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा वह तरीके से अनवरत कब्जा किया जा रहा है जो आज भी बदस्तूर है।

♦उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश के बाद भी सरकारी जमीन प्रशासन द्वारा अब तक खाली नहीं करवा पाना सबसे बड़ी कमजोरी है इससे साबित होता है कि दबंगों/अनाधिकृत व्यक्तियों द्वारा कब्जा करने का सिलसिला जारी है और यह सिलसिला तब तक नहीं रुकेगा जब तक की जिला पदाधिकारी से लेकर कर्मचारी तक पार्दर्शिता नहीं दिखाएंगे और उत्तर प्रदेश सरकार ऐसे लोगों की निगरानी खुद न करने लगे तब तक ऐसे जमीन के प्रति आदेश कूड़े के ढेर ही माना जायेगा।

♦पार्दर्शिता नहीं दिखाने का कारण यह है कि पूर्ण रूप से भ्रष्टाचार प्राप्त है जब जिलाधिकारी से लेकर कर्मचारी तक उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं तो सामान्य नागरिकों के साथ क्या व्यवहार करते होंगे इसी से साबित होता है ?

♦उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदर्शों की अवहेलना करने वाले उन अधिकारी अर्थात लोक सेवक पर कार्रवाई कौन करेगा यह सरकार सुनिश्चित करें, जबकि शासन का कड़ा निर्देश जारी हैं की ऐसे सरकारी भूमि को कब्ज़ा मुक्त कराया जाये।

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