Deoria News:देवरिया टाइम्स। जिले के फाइलेरिया मरीजों को अब शनिवार को आयोजित होने वाले आयुष्मान मेले में भी एमएमडीपी किट का वितरण किया जायेगा । किट में बाल्टी, बाथ टब, मग, साबुन, तौलिया और क्रीम दी जाती है। इस संबंध में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनकटा में एमओआईसी डॉ ओपी भार्गव की अध्यक्षता में सीएचओ और फाइलेरिया रोगी नेटवर्क के बीच ब्लॉक स्तरीय बैठक का आयोजन बीते मंगलवार को किया गया।
इस मौके पर डॉ भार्गव ने कहा फाइलेरिया को उपेक्षित बीमारी से प्राथमिकता की श्रेणी में लाने के उद्देश्य से कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद पर आयोजित होने वाले स्वास्थ्य मेले में भी एमएमडीपी किट का वितरण किया जायेगा। उन्होंने कहा बनकटा ब्लॉक में हाथीपांव के 402 मरीज हैं। अब तक 40 मरीजों को एमएमडीपी किट दी जा चुकी है। फाइलेरिया को हाथीपांव भी कहते हैं, जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इस बीमारी के उन्मूलन के लिए वर्ष 2027 तक का लक्ष्य तय किया गया है। फ़ाइलेरिया रोग का कोई इलाज नहीं लेकिन इससे बचाव संभव है। फाइलेरिया किसी भी व्यक्ति को दिव्यांग बना सकता है। यह शरीर के लटके हुए अंगों जैसे पैर, हाथ, अंडकोष और स्तन को प्रभावित करता है। ध्यान रहे कि संक्रमित व्यक्ति को सफाई के बाद त्वचा को रगड़ना नहीं चाहिए बल्कि धुलाई के बाद त्वचा को सिर्फ सुखाना चाहिए। सबसे अहम बात यह कि व्यक्ति में मच्छर के काटने से संक्रमित होने के बाद बीमारी के लक्षण प्रकट होने में 10-15 वर्ष तक लग जाते हैं।
उन्होंने कहा कि यह बीमारी ज्यादातर बचपन में लोगों को प्रभावित करती है। फ़ाइलेरिया से बचाव की दवा अगर हर व्यक्ति खा ले तो समाज में संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है।
बैठक में आए फाइलेरिया रोगी नेटवर्क सदस्य विच्याचल दुबे द्वारा एमडीए से पहले और एमडीए के दौरान व आईआरएस छिड़काव से पहले स्वास्थ विभाग के सहयोग में किए गए जन जागरूकता कार्यक्रम को सराहा गया। इस मौके पर प्रत्येक माह की 15 तारीख को निक्षय दिवस के अवसर पर होने वाले कार्यक्रम में क्षेत्र के संभावित टीबी, फाइलेरिया, कालाजार, कुष्ठ सही अन्य रोगियों की खोज में सहयोग करने के बारे में सहमति बनी।
इस अवसर पर आरबीएसके चिकित्सक डॉ. विनोद कुमार, सीफार के जिला सम्यवक दीप पांडेय और, पाथ संस्था के जिला समन्यवक देश दीपक सिंह प्रमुख तौर पर उपस्थित रहे।
एमएमडीपी से मिलता है आराम
बनकटा ब्लाक के भैसाही गांव निवासी लीलावती (50) ने बताया कि उन्हे दस वर्षों से फाइलेरिया (हाथी पांव) बीमारी है। इस बीमारी के इलाज में काफी रूपये भी खर्च हुए, लेकिन आराम नहीं मिला जब तक दवा का असर रहता दर्द और सूजन में आराम रहता था। दवा का सेवन बंद करने के बाद दर्द और सूजन बढ़ने लगती थी। एक दिन फाइलेरिया रोगी नेटवर्क का समूह गांव में फाइलेरिया बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने आया। इस दौरान व्यायाम और एमएमडीपी किट से रोग प्रबंधन के बारे में जानकारी मिली। नेटवर्क के माध्यम से ही स्वास्थ्य विभाग से एमएमडीपी किट मिला। इसके उपयोग के बाद हाथीपांव में दर्द कम होता गया और सूजन में भी कमी आई है। वह बताती हैं, ‘‘अब मैं अपना काम भी कर लेती हूं और लोगो को फाइलेरिया बीमारी के बारे में जागरूक भी करने में नेटवर्क का सहयोग करती हूं।‘’
जिले में सोलह सौ से अधिक हैं हाथीपांव के मरीज
जिला मलेरिया अधिकारी सुधाकर मणि ने बताया कि संचारी रोगों के लिए निर्धारित शनिवार को आयोजित आयुष्मान मेले में फाइलेरिया मरीजों को फाइलेरिया (हाथी पांव) के प्रभाव को कम करने के लिए एमएमडीपी किट दिया जाता है। जिले में 1668 हाथीपांव के मरीज हैं, जिन्हे एमएमडीपी किट का वितरण किया जा रहा है।