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देवरिया टाइम्स।
जब कोई व्यक्ति राग और द्वेष से मुक्त होकर, अपने अहंकार को तिरस्कृत करके आता है तो वह निराला होता है। निराला महाप्राण थे। वे कहते हैं यदि सिर झुकाकर जीना ही कवि कर्म का प्राप्य है तो इस पर वज्रपात हो। राम की शक्तिपूजा महाकाव्य न होकर भी महाकाव्य से बड़ा है। इसमें ध्वनियों का संगीत जिस तरह प्रवाहित है वह अद्भूत है,अन्यत्र दुर्लभ है। निराला बसंत की गंध, बसंत के आलोक और बसंत के ओज से प्रकाशित हैं। मैं उन्हें नमन करता हूं।

उक्त बातें डां अरुणेश नीरन, अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव, विश्व भोजपुरी सम्मेलन ने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कहीं। आगे डां नीरन जी ने कहा नागरी प्रचारिणी सभा में हिंदी, तमिल और सिंहली भाषा की त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है जिसमें कवि, साहित्यकार और श्रोता संगम स्नान का लाभ ले रहे हैं।


इस अवसर पर “विश्व नागरी रत्न” अलंकृत श्रीलंका की सुश्री कौशल्या सुमाली लकसलानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं अपने को एक भारतीय मानती हूं। यदि मेरा दूसरा जन्म हो तो उसे मैं भारत में होना चाहूंगी। मैं श्रीलंका की पहली महिला हूं जिसे कम उम्र में यह सम्मान प्राप्त हुआ है। मैं चाहती हूं कि हिंदी पूरे विश्व में स्थापित हो। यद्यपि मेरे माता-पिता शुरू में नहीं चाहते थे कि मैं हिंदी सीखूं, किन्तु आज वे मेरे हिन्दी पठन पाठन पर गर्व महसूस करते हैं। आगे उन्होंने बताया कि मेरे विद्यालय में आज आठ सौ बच्चे हैं जिन्हें मैं नि:शुल्क हिंदी की पढाती हूं। यहां आकर मुझे यह महसूस हुआ कि भारत में अतिथि देवो भव: का भाव प्रबल है जिसे आगे बढ़ाने की जरुरत है।


समारोह के विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक डां सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी जी ने नव निर्मित अतिथि कक्ष का लोकार्पण करने के पश्चात अपने वक्तव्य में कहा राम की शक्तिपूजा अंधकार से प्रकाश की यात्रा है,असत्य पर सत्य की विजय का गान है। मैं निराला के साहित्य से हमेशा आलोक पाता रहा हूं।और अपने अल्प विधानसभा सदस्य के कार्यकाल में सीमित संसाधनों के बाद भी बेहतर काम करने का प्रयास किया। नागरी प्रचारिणी सभा को मैं अपने गौरव का विषय मानता हूं। आगे जब भी अवसर मिलेगा इसके विकास के लिए कार्य करूंगा। सभा के मंत्री डाॅ अनिल कुमार त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा डां अरुणेश नीरन को पूरा देश जानता है। इनका परिचय देना केवल औपचारिकता का निर्वाह होगा। हमारे बीच श्रीलंका से पधारी श्रीमती कौशल्या सुमाली लकसलानी को अपने बीच पाकर गर्व का अनुभव कर रहा हूं। आप संघर्ष शील महिला है जो अपने खर्चे से हिंदी शिक्षण कार्य करती है।


इसके पूर्व प्रात:10 बजे से रघुपति त्रिपाठी की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी हुई जिसमें चराग सलेमपुरी, रविनंदन सैनी, छेदी प्रसाद गुप्त विवश, रमेश सिंह दीपक, उमाशंकर द्विवेदी, विनोद पांडेय, आशुतोष तिवारी, गोपाल जी त्रिपाठी, दयाशंकर कुशवाहा,भीम प्रसाद प्रजापति, सौदागर सिंह, कौशल किशोर मणि, पार्वती देवी, आचार्य प्रमोद मणि, अमित कुमार मिश्र, नित्यानंद आनन्द, पुष्कर तिवारी इन्द्र कुमार दीक्षित आदि कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनाकर लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया।
पुनः दूसरे सत्र में सभा के अध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी, मंत्री डाॅ अनिल कुमार त्रिपाठी,श्वेतांक मणि त्रिपाठी करन, संयोजक डॉ सौरभ श्रीवास्तव,डां दिवाकर प्रसाद तिवारी, दिनेश कुमार त्रिपाठी,बृद्धिचन्द्र विश्वकर्मा द्वारा श्रीमती कौशल्या सुमाली लकसलानी को अंग वस्त्र,सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह एवं साल के साथ “विश्व नागरी रत्न” सम्मान से सम्मानित किया गया। तत्पश्चात भूषण त्यागी ने अपनी रचना “सीख लेना सच की खातिर जहर पीना, मगर विष का कुछ हिसाब न लिखना” सुनाकर गौष्ठी को ऊंचाई दी। प्रसिद्ध गायिका पूनम मणि ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। काव्य गोष्ठी में काव्य पाठ करने वाले रचनाकार कवियों को सम्मानित किया गया। कवि गोष्ठी का संचालन योगेन्द्र तिवारी योगी ने किया तथा सम्मान सत्र का संचालन मधुसूदन मणि त्रिपाठी ने किया।
इस अवसर पर डां शकुंतला दीक्षित, दुर्गा पाण्डेय, ह्रदय नारायण जायसवाल, रवीन्द्र नाथ तिवारी, श्वेतांक मणि त्रिपाठी करन, बृजेश पाण्डेय अधिवक्ता, बृजेश पाण्डेय प्रबंधक, रमेश चंद्र त्रिपाठी,भृगुदेव मिश्र, ऋषिकेश मिश्र , जगदीश उपाध्याय, डां अभय कुमार द्विवेदी आदि उपस्थित रहे।


सभा के अध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि सम्मानित अतिथि कौशल्या सुमाली लकसलानी ने अपने पिता त्यागराजन से त्याग और माया से सौम्यता ग्रहण की है आज का क्षण सभा के लिए ऐतिहासिक है। कवियों की दृष्टि से देवरिया जनपद धनी है मैं सबका हृदय से कृतज्ञ हूं।

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