मत्स्य उत्पादन से जुड़ी योजनाओं के लिए करें आवेदन

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देवरिया टाइम्स। जिलाधिकारी अखण्ड प्रताप सिंह ने बताया है कि मत्स्य उत्पादन / उत्पादकता व किसानों की आय में वृद्धि तथा स्व-रोजगार के अवसर बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है, जिसके अंतगत आधारभूत संरचनाएं, अंतदेशीय मत्स्य पालन, मछुआरों का कल्याण एवं नई तकनीकी आधारित परियोजनाएं सम्मिलित है। वित्तीय सहायता के रूप में महिला व अनुसूचित जाति / जनजाति को 60% तथा अन्य वर्ग को 40% अनुदान अनुमन्य है।


जिलाधिकारी ने योजनाओं के विवरण में बताया है कि निजी भूमि पर तालाब निर्माण एवं प्रथम वर्ष निवेश, निजी भूमि पर तालाब निर्माण (खारा जल ) एवं प्रथम वर्ष निवेश, मत्स्य बीज हैचरी निर्माण, बायोफलॉक पॉण्ड निर्माण सबंधन प्रथम वर्ष निवेश सहित, रियरिंग तालाब निर्माण, वृहद री – सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम / बायोफलॉक 50 टैंक 4 मी0 व्यास, मध्याकार री – सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम / बायोफलॉक 25 टैंक 4 मी० ब्यास, लघु रि-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, बैकयार्ड रि-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, इंसुलेटेड व्हीकल्स, मोटर साइकिल विद आइस बॉक्स, थ्री व्हीलर विद आइसबॉक्स, साइकिल विद आइसबॉक्स, जिंदा मछली विक्रय केन्द्र, लघु मत्स्य आहार मिल 2 टन प्रति दिन क्षमता,

मध्याकार मत्स्य आहार मिल 8 टन प्रति दिन क्षमता, वृहद मत्स्य आहार मिल 20 टन प्रति दिन क्षमता, मत्स्य आहार प्लांट, पेन संवर्धन, मोबाइल लैब/ क्लिनिक की स्थापना, इंटीग्रेटेड ऑर्नामेंटल फिश यूनिट (ब्रीडिंग एंड रियरिंग) मीठा जल, बैकयार्ड सजावटी मछली रियरिंग यूनिट, मध्याकार सजावटी मछली रियरिंग यूनिट, एक्सटेंशन एंड सपोर्ट सर्विस / मत्स्य सेवा केंन्द्र,ऑर्नामेंटल फिश ब्रूड बैंक, शीत गृह / आइस प्लांट निर्माण (50 टन क्षमता), कियोस्क निर्माण / सजावटी मछली कियोस्क, केज संवर्धन, मनोरंजन मात्स्यिकी को प्रोत्साहन, सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना संचालित है।
जिलाधिकारी ने बताया कि सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना अंतर्गत निःशुल्क वार्षिक बीमा सुविधा मत्स्य4 गतिविधियों में सक्रिय 18 से 70 वर्ष के महिला/पुरुष मत्स्य पालक को दुर्घटनाजनित मृत्यु अथवा पूर्ण स्थायी निःशक्तता की दशा में 5.0 लाख, स्थायी आंशिक निःशक्तता की दशा में ₹ 2.5 लाख एवं आकरिमक अस्पताल खर्च हेतु 25,000 तक आर्थिक सहायता अनुमन्य है । दुर्घटना की सूचना 90 दिनों में देना अनिवार्य है । मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना अंतर्गत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, किसानों की आय में वृद्धि एवं स्व-रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ग्राम सभा एवं अन्य पट्टे के तालाबों में निवेश एवं मत्स्य बीज बैंक की स्थापना हेतु राज्य सरकार द्वारा दो परियोजनाएं संचालित है।

योजना में सभी वर्ग को 40% अनुदान अनुमन्य है। इस योजनान्तर्गत दो परियोजनाएं यथा सुधारे गए ग्राम सभा व अन्य पट्टे के तालाबों में प्रथम वर्ष निवेश तथा सुधारे गए ग्राम सभा व अन्य पट्टे के तालाबों में मत्स्य बीज बैंक की स्थापना संचालित की जा रही है।
निषादराज बोट सब्सिडी योजना के अंतर्गत प्रदेश में मत्स्य पालको एवं मछुआरा समुदाय के व्यक्तियों को मत्याखेट एवं नदियाँ जलाशयों में मत्स्य प्रबंधन व संरक्षण के माध्यम से रोजगार एवं आजीविका के लिए जलाशयों, तालाबों, नदियों एवं अन्य जल स्रोतों में मछली पकड़ने हेतु बिना इंजन की नाव (नान मोटोराइज्ड), जाल, लाइफ जकेट एवं आइसबाक्स आदि पर 40% अनुदान उपलब्ध कराये जाने हेतु “निषादराज बोट सब्सिडी योजना’ के रूप में एक नवीन योजना राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ की गयी है।मत्स्य पालक कल्याण कोष योजना अंतर्गत प्रदेश के मत्स्य पालकों / मछुआरा समुदाय (परम्परागत मत्स्य आखेटक केवट, मल्लाह, निषाद, बिन्द, धीमर, कश्यप, बाथम, रैकवार, मांझी, गोडिया, कहार, तुरहा अथवा तुराहा समुदाय से सम्बन्धित ऐसा व्यक्ति अथवा कोई अन्य व्यक्ति जो एक वर्ष अथवा उससे अधिक अवधि से मत्स्य पालन या मात्स्यिकी क्रिया-कलापों से सक्रिय रूप से जुड़ा हो तथा उससे अपना जीविकोपार्जन करता हो) के कल्याणार्थ मत्स्य पालक कल्याण कोष योजना प्रारम्भ की गयी है।मत्स्य पालक / मछुआरा बाहुल्य ग्रामों में अवसंरचनात्मक सुविधाओं का निर्माण, चिकित्सा सहायता, मत्स्य पालकों / मछुआरों का प्रशिक्षण / भ्रमण,महिला सशक्तिकरण के संवर्धन में 20% अतरिक्त अनुदान,मछुआ आवास निर्माण सहायता, दैवीय आपदाओं से हुई क्षति में वित्तीय सहायता उक्त योजना में शामिल है।मत्स्य गतिविधियाँ हेतु बैंक के माध्यम से 4 प्रतिशत व्याज दर पर ₹ 1.50 लाख तक जमानत रहित क्रेडिट ऋण सुविधा तथा अधिकतम क्रेडिट ऋण अनुमन्यता ₹ 3.0 लाख तक है। योजनाओं के लिए http://fisheries.up.gov.in पर आवेदन किया जा सकता है।

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