देवरिया टाइम्स।
पुलिस अधीक्षक महोदय बस्ती गोपाल कृष्ण चौधरी के आदेश के क्रम में अपर पुलिस अधीक्षक बस्ती दीपेन्द्रनाथ चौधरी* के निर्देश व क्षेत्राधिकारी हरैया शेषमणि उपाध्याय के पर्यवेक्षण में थानाध्यक्ष दुर्गेश कुमार पाण्डेय* के नेतृत्व ने शुक्रवार को गोद लिए गए प्राथमिक विद्यालय जितिया पुर पर जाकर वृक्षारोपण के कार्यक्रम में आम का पौधा लगाकर बच्चों को जागरूक किया गया कि बच्चों का हृदय अत्यंत ही कोमल होता है बचपन में बच्चे जो चीज देखते सुनते हैं उसी को सही अपने जीवन में आत्मसात करते हैं
इसी के तहत बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए बच्चों को वृक्षारोपण के बारे में अच्छी अच्छी जानकारियां दी गई वृक्षारोपण एवं पर्यावरण संरक्षण का सामान्य रूप से अभिप्राय है की प्राकृतिक परिवेश जिसमें मानव अपना जीवन व्यतीत करता है हमारे आसपास के सभी तत्व जैसे वायु भूमि जल पेड़ पौधे फल फूल एवं जीव जंतु पक्षी समुद्र और उसके जीव आदि जो कुछ भी हमारे चारों ओर विद्यमान हैं वह पर्यावरण कहलाता है यही नहीं नदी झरने सागर पर्वत एवं जलवायु की सुक्ष्म तत्व भी पर्यावरण का निर्माण करते हैं यहां तक कि पृथ्वी को प्रकाश व ऊर्जा देने वाले सूर्यदेव व संपूर्ण ब्रह्मांड के आकाशीय पिंड भी पर्यावरण में ही आते हैं यह सभी तत्व हमारे जीवन अस्तित्व एवं विकास के लिए अनिवार्य है ईश्वर ने पर्यावरण की ऐसी अनूठी रचना इसलिए की थी
ताकि समस्त प्राणी जगत सुनहरे ग्रह (पृथ्वी) पर सुख शांति पूर्वक रह सके ईश्वर ने पर्यावरण के विभिन्न अवयवों के बीच एक अद्भुत सामंजस्य व संतुलन की स्थापना की है परंतु कुछ वर्षों से मानव ने अपनी भोगपूर्ण लालसा की तृप्ति हेतु ईश्वरी व्यवस्था में बड़ी भारी मात्रा में छेड़छाड़ आरंभ कर दिया है इसका परिणाम यह हुआ है कि आज संवेदनशील पर्यावरणीय संतुलन के पूर्ण रूप से नष्ट भ्रष्ट व दूषित हो जाने की विश्वव्यापी समस्या खड़ी हो गई है हमारे जीवन की प्रत्येक घटना व क्रियाकलाप पर्यावरण को प्रभावित करता है एक वृक्ष एक संकल्प की प्रेरणा देते हुए थानाध्यक्ष महोदय द्वारा वहां उपस्थित सभी लोगों को शपथ भी दिलाई ।
एक जैसा हर समय वातावरण होता नहीं
अर्चना के योग्य हर इक आचरण होता नहीं
जूझना कठिनाइयों की बाढ़ से अनिवार्य है
मात्र चिन्तन से सफलता का वरण होता नहीं
मिल सका किसको भला नवनीत मन्थन के बिना
दुख बिना चुपचाप सुख का अवतरण होता नहीं
लाख हो पर्यावरण बिना सव व्यर्थ है
पास में यदि शीलता का आभरण होता नहीं
जल रहा हो जब वियोगी मन विरह की आग में
यत्न कितना भी करो पर विस्मरण होता नहीं