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Deoria News: देवरिया टाइम्स

भारत की पुरातन संस्कृति विज्ञान पर आधारित है। संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है। हमें विज्ञान के शोधों को अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है। विज्ञान केवल पठन विषय के रूप में नहीं है बल्कि प्रयोग सिद्ध करने का विषय है। विज्ञान के सैद्धांतिक चीजों को प्रयोग के रूप में लाने की आवश्यकता है।

आज के युग में हम चंद्रमा पर पहुंच गए, सूर्य के लिए हमारा आदित्य एल 1 भी अपने मिशन पर निकल चुका है। विद्या भारती की अनुशासन और शिक्षण पद्धति हमें सबसे अलग करती है। विज्ञान के नियमों को सिद्ध करने की आवश्यकता है। बच्चों को विज्ञान केवल विषय के रूप में नहीं वरन प्रयोगात्मक विषय के रूप में लेने की आवश्यकता है। उक्त बातें विज्ञान अकादमी नई दिल्ली के निदेशक डा बसु कुमार ने पूर्व छात्र परिषद, सरस्वती वरिष्ठ माध्यमिक विद्या मंदिर के “मार्गदर्शन” कार्यक्रम के अंतर्गत वर्तमान समय में विज्ञान और अनुसंधान का महत्व विषय बोलते हुए कही।

उन्होंने बच्चों को बताया कि आज विज्ञान के छोटे छोटे सिद्धांतों को जानने और उसका प्रयोग करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती माँ के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात आचार्य जगदीश जी द्वारा विद्या भारती के पूर्व छात्र परिषद के भैया डा बसु कुमार का परिचय कराते हुए बताया कि आपने महावीर सरस्वती विद्या मंदिर, सीवान से दशम तक की शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही आपने एटॉमिक फिजिक्स में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। आप भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, न्यूक्लियर साइंस सेंटर, डीआरडीओ आदि के साथ कार्य किया है। उक्त कार्यक्रम में विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष अशोक कुमार श्रीवास्तव, प्रबंधक मुन्नीलाल शर्मा, प्रधानाचार्य अनिरुद्ध सिंह, आचार्य जगदीश , पूर्व छात्र परिषद के प्रान्त मंत्री नीरज शर्मा, महामंत्री विवेकानन्द शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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