Deoria News देवरिया टाइम्स।
जिले के कालाजार प्रभावित गांवों में बालू मक्खी से बचाव के लिए वर्ष में दो बार होने वाले अंदरूनी विशिष्ट छिड़काव (आईआरएस) के पहले चरण की शुरूआत 13 मार्च से बनकटा ब्लॉक के कालाजार प्रभावित 18 गांवों से हो चुकी है । आईआरएस छिड़काव कार्य में कालाजार रोगी सहायता समूह नेटवर्क सदस्य महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। छिड़काव से मना करने वाले परिवारों को छिड़काव के फायदे के बारे में बताते हुए लोगों को पूरे घर में छिड़काव के लिए राजी कर रहे हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी आरएस यादव ने बताया कि बनकटा ब्लॉक के फुलवरिया, मिश्रौली, बांकुल, हाटा , राजपुर जैसे कालाजार प्रभावित गांवों में कालाजार की वाहक बालू मक्खी से बचाव के लिए छिड़काव किया जा रहा है। चिह्नित गांवों में छिड़काव व निरोधात्मक कार्य जारी है। छिड़काव अभियान में नेटवर्क सदस्यों का सहयोग लिया जा रहा है। नेटवर्क सदस्य हरेराम शाह, महेश चंद्र यादव, पिंकी चौहान और राजाराम ने बुधवार को फुलवरिया, मिश्रौली, बांकुल, हाटा , राजपुर गांव के लोगों के साथ बैठक कर कालाजार से बचाव के लिए जागरूक किया और सम्पूर्ण घर में छिड़काव कराने की सलाह दी। नेटवर्क सदस्यों द्वारा बताया जा रहा है कि कीटनाशक दवा का छिड़काव दीवार पर छह फुट तक होता है। खाने-पीने के सामान, बर्तन और दीवारों पर टंगे कैलेंडर आदि को बाहर कर दें। भारी सामानों को कमरे के मध्य भाग में एकत्रित कर उसे ढक दें। रसोईघर, गौशाला सहित पूरे घर में दवा का छिड़काव कराएं और घर की दीवारों में पड़ी दरारों को भर दें। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि सम्पूर्ण छिड़काव हो सके इसके लिए सेंटर फॉर एडवोकेसी एण्ड रिसर्च (सीफार) और पाथ संस्था से भी सहयोग लिया जा रहा है।
किया जा रहा जागरूक
बनकटा ब्लॉक के नेटवर्क सदस्य हरेराम शाह ने बताया कि लोगों को कालाजार से बचाव के बारे में बताया जा रहा है। उनको यह भी समझाया जा रहा है कि कालाजार बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। इसके काटने के बाद लोग बीमार हो जाते हैं। उन्हें बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है। बालू मक्खी को जड़ से समाप्त करने के लिए ही दवा का छिड़काव किया जाता है। बालू मक्खी जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक ही उड़ सकती है, इसलिए छिड़काव घर के अंदर छह फीट की ऊंचाई तक कराना है।