खरीफ में धान आदि फसलों में भूमिशोधन / बीजशोधन से मिलेगा लाभ-जिला कृषि रक्षा अधिकारी

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Deoria News देवरिया टाइम्स। जिला कृषि रक्षा अधिकारी रतन शंकर ओझा ने बताया है कि इस समय खरीफ फसलों विशेषकर धान की नर्सरी एवं रोपाई / बुआई हेतु खेतों को तैयार किया जा रहा है एवं शीघ्र ही मानसून के आगमन के साथ धान की रोपाई शुरू हो जाएगी। रोपाई / बोआई के पूर्व भूमिशोधन एवं बीजशोधन कर अनेक भूमि जनित व बीज जनित रोगों से फसल का बचाव किया जा सकता है।


भूमिशोधन में ट्राइकोडर्मा तथा ब्यूवेरिया वैसियाना का प्रयोग करना चाहिए, जो फफूंद पर आधारित घुलनशील जैविक फफूंदीनाशक है। ट्राइकोडर्मा विभिन्न फसलों / फलों / सब्जियों में जड़ सड़न तना सड़न डैम्पिंग आफ, उकठा, झुलसा आदि रोगो में प्रभावी है। ट्राइकोडर्मा के कवक तंतु हानिकारक फफूंदी के कवक तंतुओ को लपेट कर या सीचे अंदर घुसकर उसका रस चूस लेते है। इसके अतिरिक्त भोजन स्पर्धा द्वारा कुछ ऐसे विषाक्त पदार्थ का स्त्राव करते हैं जो बीजों के चारों तरफ सुरक्षा दीवार बनाकर हानिकारक फफूंदी से सुरक्षा देते है। इसके प्रयोग से बीजों का अंकुरण अच्छा होता है तथा फसले फफूंदी जनित रोगों से मुक्त रहती है।


भूमिशोधन हेतु 2.5 किग्रा० प्रति हेक्टेअर ट्राइकोडर्मा को लगभग 75 किग्रा० गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर हल्के पानी की छीटा देकर 7-8 दिन छायादार स्थान पर रखें तथा बुआई के पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला दें। इसी प्रकार बीजशोधन हेतु 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा० बीज की दर शुष्क बीजोपचार कर बुआई करना चाहिए। इसी प्रकार ब्यूवेरिया वैसियाना जैव कीटनाशी विभिन्न फसलों आदि में लगने वाले फलीबेधक, पत्ती लपेटक. पत्ती भक्षक, चूसने वाले कीटों तथा भूमि के दीमक एवं सफेद गिडार आदि की रोकथाम के लिए लाभकारी है। यह अधिक आर्द्रता एवं कम तापक्रम पर अधिक प्रभावी होता है। इसका प्रयोग भी ट्राईकोडर्मा की ही भांति होता है ।


खरीफ की प्रमुख फसल धान की नर्सरी बीजशोधन के बाद ही डाले। बैक्टीरियल ब्लाईट रोग से प्रभावित क्षेत्र हेतु 25 किग्रा० बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन या 40 ग्राम प्लान्टोमाइसिन मिलाकर पानी में रात भर भिगोकर दूसरे दिन छाया में सुखाकर नर्सरी डालें। अन्यथा 25 किग्रा0 बीज रात भर पानी में भिगोने के बाद दूसरे दिन निकाल कर अतिरिक्त पानी निकालकर 75 ग्राम थीरम 75 डब्लू०पी० या 50 ग्राम कार्बेडाजिम 50 डब्लू०पी० को 8-10 लीटर पानी में घोलकर बीज में मिला दिया जाए तथा फिर छाया में अंकुरित कर नर्सरी में डाला जाए। नर्सरी लगाने के 10 दिनों के अन्दर ट्राइकोडर्मा का एक छिड़काव कर देना चाहिए। यदि नर्सरी में कीटों का प्रभाव दिखाई दे तो 1.25 लीटर क्यूनालफास 25 ई०सी० या 1.5 लीटर क्लोरपायरीफास 20 ई०सी० प्रति हे० में छिड़काव करें अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रति0 की 1 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। यह रसायन अनुदान पर कृषि रक्षा इकाईयों पर उपलब्ध है, जहां से कृषक प्राप्त कर सकतें है।

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