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देवरिया टाइम्स।
नागरी प्रचारिणी सभा देवरिया सन् 2015 से हिन्दी के प्रचार- प्रसार में लगे प्रवासी हिन्दी भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले साहित्यकारों को “विश्व नागरी रत्न” सम्मान से विभूषित करती रही है।
इस सम्मान की शुरुवात तत्कालीन अध्यक्ष स्व सुधाकर मणि त्रिपाठी जी द्वारा किया गया ।
इस वर्ष यह सम्मान श्रीलंका में हिन्दी के प्रति तन-मन- धन से समर्पित शिक्षिका डी एम आर टी कौशल्या सुमाली लक्सलानी जी को दिया जा रहा है।

कौशल्या जी ने दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, मद्रास और केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा से हिन्दी की शिक्षा लेने के पश्चात, 13 अक्टूबर सन 2005 में अपने पुश्तैनी घर में ही हिन्दी निकेतन के द्वारा हिन्दी का अध्यापन मात्र एक बच्चे से शुरू किया। तब एक ही बच्चा था और उन्होंने यह काम खुद अपने सीमित संसाधनों से नि:शुल्क चलाना शुरु किया था। पुनः सन् 2011 में उन्होंने कुरुणैगल जिले में एक स्थान किराये पर लेकर “पद्यांजली हिंदी निकेतन” कुरुणैगल की स्थापना की। आगे सन् 2013 में कैंडी जिले में एक और स्थान किराये पर लेकर उस जिले के बच्चों को निः शुल्क पढ़ाना शुरू किया।

भारत के सहायक उच्चायोग कैंड़ी का “भारतीय कला केंद्र” हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार करने वाला सबसे प्रमुख संस्थान माना जाता है। सन् 2015 में कौशल्या जी को इस “भारतीय कला केंद्र” की “हिंदी अध्यापिका” के उपाधि से सुशोभित किया गया। वे सन् 2015 से ही अभी तक “भारतीय कला केंद्र” के विद्यार्थियों को दक्षिण भारतीय हिंदी परिक्षाएँ एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान के पाठ्य क्रम के लिए तैयार कर रही हैं। सन् 2021 से अभी तक जब पूरी दुनिया कोविड महामारी से पीडित है, साथ ही श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में काफ़ी परिवर्तन हुए है, फिर भी उन्होंने ऑनलाइन के माध्यम से विद्यार्थियों को पढ़ाना चालू रखा है और वह काम आज भी जारी है। कौशल्या जी का उद्देश्य है “चाहे कुछ भी हो हिंदी भाषा को विश्व भर में व्याप्त करना हमारा लक्ष्य है।”

कौशल्या जी द्वारा संस्थापित एवं संचालित संस्था “पद्यांजलि हिंदी निकेतन” का लक्ष्य है 1. विद्यार्थियों को निःशुल्क हिन्दी भाषा पढाना, 2. दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा एवं केंद्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा संचालित विभिन्न हिन्दी परीक्षाओं के लिए विधार्थियों को तैयार करना, 3. भारतीय संस्कृति के बारे में पर्याप्त ज्ञान देना, 4. आर्थिक समस्या वाले विधार्थियों को हिन्दी की क्षमता बढाने के लिए सहायता करना, 5. हिन्दी भाषा का प्रचार प्रसार सुचारु रुप से करना, 6. भारतीय नृत्य भी निःशुल्क सिखाना और 7. पुस्तकालय एवं वाचनालय की व्यवस्था करना।

नागरी प्रचारिणी सभा देवरिया के मंत्री डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी ने सूचित करते हुए बताया कि हिन्दी भाषा के ऐसे प्रहरी को सम्मानित करते हुए हमें महान सुख एवं संतोष की अनुभूति हो रही है ।

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