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जिलाधिकारी के जनता दर्शनमें प्राप्त भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायत के निस्तारण के क्रम में बड़ौदा यूपी ग्रामीण बैंक ने एक तत्कालीन शाखा प्रबंधकों को निलंबित कर दिया है तथा एक का स्थानांतरण गैर महत्वपूर्ण कार्य हेतु कर दिया है।

पहले प्रकरण में परशुराम कुमार गुप्ता ने शिकायत की कि तत्कालीन शाखा प्रबन्धक रामचन्द्र प्रसाद ने बैंकिंग दलाल बलराम यादव के साथ मिलकर षडयन्त्र के तहत शिकायतकर्ता के नाम से रू. 2.00 लाख का ऋण बड़ौदा यू.पी. ग्रामीण बैंक की शाखा टीकमपार से स्वीकृत किया परन्तु उक्त ऋण से खरीदी जाने वाली मशीनरी शिकायतकर्ता को उपलब्ध नहीं करायी गयी, जिसका निस्तारण क्षेत्रीय प्रबन्धक, बड़ौदा यू.पी. बैंक क्षेत्रीय कार्यालय, देवरिया द्वारा भी नहीं किया गया था। जिलाधिकारी ने उक्त प्रकरण की जांच अग्रणी जिला प्रबन्धक अरुणेश कुमार को सौंपी, जिन्होंने अपनी जाँच में तत्कालीन शाखा प्रबन्धक रामचन्द्र प्रसाद पर लगे आरोपों को सही पाया। गये जिसकी पुष्टि बड़ौदा यू.पी. बैंक के केन्द्रीय कार्यालय, गोरखपुर द्वारा कराई गयी जांच में भी हुई है, जिसके क्रम में जिलाधिकारी के पत्र पर कार्यवाही करते हुए सर्वेश कुमार सिन्हा महाप्रबन्धक, बड़ौदा यू.पी. बैंक केन्द्रीय कार्यालय, गोरखपुर द्वारा अवगत कराया गया है कि दोषी पाये गये तत्कालीन शाखा प्रबन्धक रामचन्द्र प्रसाद को निलम्बित किया जा चुका है, साथ ही उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही प्रारम्भ की जा चुकी है।

दूसरे प्रकरण में जनता दर्शन के दौरान हरिलाल सिंह ने शिकायत की कि तत्कालीन शाखा प्रबन्धक धर्मपाल सिंह, बड़ौदा यू.पी. ग्रामीण बैंक शाखा महुआपाटन ने शिकायतकर्ता की शासकीय ऋण पत्रावली की स्वीकृत हेतु रिश्वत की मांग की एवं महुआपाटन बाजार के कई ऋण ग्राहकों से ऋण स्वीकृत के एवज में रिश्वत ली। जिसका निस्तारण क्षेत्रीय प्रबन्धक, बड़ौदा यू.पी. बैंक क्षेत्रीय कार्यालय, गोरखपुर द्वारा भी नहीं किया गया था। जिसके निस्तारण के सम्बन्ध में जिलाधिकारी के निर्देशानुसार अग्रणी जिला प्रबन्धक, देवरिया द्वारा की गई जाँच में तत्कालीन शाखा प्रबन्धक धर्मपाल सिंह पर आरोप सही पाये गये। जिसके क्रम में जिलाधिकारी देवरिया के पत्र पर कार्यवाही करते हुए सर्वेश कुमार सिन्हा, महाप्रबन्धक, बड़ौदा यू.पी. बैंक केन्द्रीय कार्यालय, गोरखपुर द्वारा अवगत कराया गया है कि धर्मपाल सिंह को शाखा प्रबन्धक पद से हटा दिया गया है एवं दूसरी शाखा में नॉन सेंसिटिव कार्य में लगाया गया है। साथ ही उनके विरूद्ध बैंक के उच्च अधिकारियों द्वारा जाँच की जा रही है। जाँच रिपोर्ट के आधार पर बैंक नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।

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