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Deoria News देवरिया टाइम्स।
श्री चिरंजी ब्रह्म सेवा समिति सोंदा की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिन अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास डॉ श्याम सुंदर पाराशर ने कथा का रसपान कराया। श्री पराशर ने श्री कृष्णा रुकमणी विवाह प्रसंग पर चर्चा करते हुए कहा कि विदर्भ देश का राजा भीष्मक् की पुत्री रुकमणी का विवाह रुक्मिणी का भाई रुक्मी जो श्रीकृष्ण से बैर वश शिशुपाल से करना चाहता था।शादी की तिथि भी निर्धारित हो गई।जब इस बात की के खबर रुक्मिणी को लगी तो बहुत दुःखी हुई।चूंकि वह काफी दिनों से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को सुनकर उनसे अंदर ही अंदर प्रेम करने लगी थी। और उसने मन में या ठान लिया था कि मेरा विवाह भगवान श्रीकृष्ण से ही करूंगी।

रुक्मणी ने अपने दरबार की एक विद्वान पंडित को बुलाया और उनको एक पत्र दीया की जल्दी जाकर के भगवान श्री कृष्ण को दे आओ। उस पत्र में रुक्मणी ने भगवान श्री कृष्ण से विनती करते हुए लिखा था कि हे भगवान श्री कृष्ण हमने जन्म से ही आपको पति के रूप में वरण कर लिया है मेरे पिता के न चाहने पर भी मेरे भाई रुक्मी मेरी शादी शिशुपाल के साथ करने का निर्णय ले लिया है। जो गलत है । मेरे राजघराने में पूर्व से व्यवस्था चली आ रही है की शादी के 1 दिन पहले घर से थोड़ी दूरी पर स्थित गिरजा देवी के मंदिर में विधि विधान से पूजा करने का प्रावधान है। अगर उसी समय आप आकर मेरा हरण कर ले और मेरे साथ वैवाहिक संबंध स्थापित करें। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं अपने जीवन की एहलीला को समाप्त कर लूंगी लेकिन शिशुपाल के साथ विवाह नहीं करूंगी।

जब यह पत्र विद्वान ब्राह्मण भगवान श्री कृष्ण के हाथों में देता है तब भगवान श्री कृष्ण एक ही झटके में रथ पर सवार हो गिरजा मंदिर के लिए रवाना हो जाते हैं उनकी मंशा को भांप करउनके पीछे-पीछे उनके भाई बलराम भी अपनी सेनाओं के साथ गिरिजा देवी मंदिर के लिए चल देते हैं। उधर रुकमणी गिरिजा देवी मंदिर में पूजा कर अब कुछ ही क्षणों में रथ पर सवार होकर घर जाने वाली होती है कि भगवान श्री कृष्ण बड़ी तेजी से पहुंचकर रुकमणी को अपने रथ पर खींच कर बैठा कर बड़ी तेजी से भाग जाते हैं। जब इसकी खबर रुकमणी के भाई रुक्मी और होने वाले पति शिशुपाल को होती है पूरी सेनाओं के साथ उनका पीछा करते-करते कुंदनपुर आ जाते हैं तभी बीच में कृष्ण के भाई बलराम अपनी सेनाओं सहित रुक्मी और शिशुपाल से बलराम का युद्ध क्षीण जाता है जिसमें रुक्मी बुरी तरह से पराजित होता है।श्रीकृष्ण रुक्मिणी के साथ विवाह के समय पूरा पंडाल जय श्रीकृष्ण के नारों से गुंजायमान हो गया । मंचासीन अतिथियों को कथा व्यास डॉ श्यामसुंदर पराशर ने श्री राधे की पट्टिका देकर सम्मानित किया।इस अवसर पर केशव मिश्र ,संजय शंकर मिश्र,दीपक मिश्र, चंदन यादव,अमन,बुल्लू मिश्र,बीना मिश्रा, पूनम मिश्रा, सम्पूर्णानंद मिश्र, जयराम,हेमवंती देवी,समीक्षा सहित आदि लोग मौजूद रहे।

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