भक्ति निष्कपट और निष्काम होना चाहिए- डॉक्टर श्याम सुंदर पराशर

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Deoria news देवरिया टाइम्स।
भक्ति निष्कपट और निष्काम होना चाहिए क्योंकि भक्ति के अभाव में भगवान के पदारविंदं मे शरण गति नहीं हो सकती। उक्त विचार श्री चिरंजी ब्रह्म सेवा समिति सोंदा की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन वृंदावन से पधारे अंतर्राष्ट्रीय कथा व्यास डॉक्टर श्याम सुंदर पराशर ने श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए कहीं। श्री पराशर ने कहाकि भक्तों के गर्भ से जब ज्ञान और वैराग्य जैसे पुत्रों का जन्म हो तो जाना चाहिए की भक्ति अपने चरमोत्कर्ष पर है।

भक्ति की ही कृपा भगवान भूखंड पर ही जिन्होंने श्रीमद् भागवत कथा के बल पर अपने भाई धुंधकारी जैसे महा पापी को भागवत का महत्व सुनाकर मुक्ति दिलाई।और भगवान के पार्षदों द्वारा स्वर्ग लोक को भेज दिया। श्री पराशर ने भक्तों की विशद व्याख्या करते हुए कहा कि परीक्षित अपने राज्य का भ्रमण करते करते घने जंगलों में पहुंच गए और प्यास बुझाने की आस में जब शमिक ऋषि के आश्रम पर पहुंचे। शमीक ऋषि उस समय अपना आसन जमा कर ध्यान में मग्न थे किंतु परीक्षित के मस्तक पर मुकुट जिसमें कलयुग निवास करता था उसका अफसर रहा के विनाश काले विपरीत बुद्धि परीक्षित ने यह सोचा किया ऋषि पानी पिलाने के बहाने आंख मुरलिया है तो मरा हुआ एक सांप उस ऋषि के गले में पहना कर अपने राज्य को वापस चल दिया इस बात की खबर जब समीर ऋषि के पुत्र को मिली वह बालक दौड़ते हुए पिता के पास पहुंचकर रोती हुई मरे हुए सर को गले से निकाल कर बाहर करता है और श्राप देता है कि जिस किसी ने मेरे पिता के गले में मरा सर्फ डाला है यही मरा सर तक्षक नाग बन कर आज के सातवें दिन डस लेगा जिससे उसकी जीवन की लीला समाप्त हो जाएगी। जब शमीक ऋषि के ध्यान टूटते हैं और अपने पुत्र द्वारा यह बात पता चलता है कि उसने श्राप दे दिया है।

तो उसे तो बहुत ही आत्मज्ञान होती हैं और कहता है कि अरे पुत्र !तुमने परीक्षित जैसे धर्म निष्ठा राजा मिलना कठिन है।अपने किए गए अपराध का भास परीक्षित को होता है ।शुकदेव से परीक्षित पूछते है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु निकट हो तो उसे क्या करना चाहिए? कार्यक्रम का शुभारंभ प्रसिद्ध चिकित्सक जे एन पांडे, अश्वनी मिश्र ने आरती उतारकर किया। कथा व्यास डॉ श्याम सुंदर पाराशर ने मंचासीन अतिथियों को श्री राधे की पट्टिका लगाकर सम्मानित किया।जबकि समापन सत्र में आरती सिद्ध पीठ बारीपुर मंदिर के उत्तराधिकारी मंहत गोपालदास और डा अश्विनी मिश्र न्यूरोलॉजिस्ट ने किया। इस अवसर पर डॉ जे एन पांडे, महामंडलेश्वर भगवान दास ,केशव मिश्र संजय शंकर मिश्र प्रभाकर मिश्र, बृजेश यादव,रामनयन चौहान, गोलू गुप्ता, अवधेश प्रसाद,अनिल मिश्र, रवि प्रकाश मिश्र छोटे ,डॉ राजीव सिंह, विश्वनाथ मिश्र अभय मिश्र, डॉ कमलेश मिश्र,प्रभाकर मिश्र,पंडित राजवंशी द्विवेदी,सदानंद मिश्र,मुरलीधर मिश्र सहित भारी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।

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