देवरिया टाइम्स।
प्रख्यात साहित्यकार और कवि कुमार विश्वास को देखने के लिए सुबह तपती धूप में लोग आने लगे थे। मंच पर पहुचते ही दर्शकों ने करतल ध्वनि से अपने चहेते कवि का स्वागत किया। सम्मान और तपतपाती लू के थपेड़ों में अपने चाहने वाले लोगो को देखकर वे गदगद दिखे।
उन्होंने करीब 40 मिनट के संबोधन में बताया कि इस मिट्टी की चरण धूलि को पाकर मैं धन्य हो गया। 1980 -90 के दशक में लोगो की प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बनने के आशीर्वाद लिए इस स्थान पर लाइन लगी रहती थी।
देवरहा बाबा के एक सिद्ध संत थे। उन्होंने श्री राम पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने वन गमन के समय कभी राजा महाराजाओं का सहारा नही लिया। वे वानर, भालू, दलित- पिछड़े, वंचितों, कोल- भीलों को साथ लेकर लड़ाई लड़े और जीते। राम का चरित्र जीवन मे उतारने की जरूरत है। उन्होंने तुलसीदास और रहीम खान-खाना के बीच हुए संवाद को लोगो के बीच सुनाया तो लोग तालियां बजाने पर मजबूर हो गए।