महाराणा प्रताप वतन की रक्षा के लिए जीवन के अंतिम सांस तक संघर्षरत रहे

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लार के विकास खण्ड सभागार में महाराणा प्रताप की 483वी जयन्ती समारोहपूर्वक मनाई गई। इस मौके पर एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जयंती कार्यक्रम में उपस्थितजनों ने महाराणा प्रताप के चित्र पर माल्यार्पण कर महाराणा प्रताप के गौरवशाली इतिहास को याद किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विधान परिषद सदस्य रतनपाल सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप हिन्दू धर्म एवं संस्कृति के रक्षक और स्वतंत्रता प्रेमी के रूप में विश्वविख्यात है।


उन्होंने कहा कि मातृभूमि की रक्षा के लिए आन, बान व शान कायम रखते हुए महाराणा प्रताप ने मुगलों की दासता स्वीकार करने की बजाए वनों में रहना ज्यादा श्रेयस्कर समझा तथा वतन की रक्षा के लिए जीवन के अंतिम सांस तक संघर्षरत रहे।


मुख्यवक्ता सांसद रविन्दर कुशवाहा ने महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने महाराणा प्रताप के ऐतिहासिक प्रसंगों की व्याख्या की। उन्होंने महाराणा प्रताप के उज्जवल इतिहास को सामने लाने की आवश्यकता जताते हुये महाराणा प्रताप के जीवनवृत्त व उनके समाज और राष्ट्र को दिये योगदान को याद किया।
जिला पंचायत अध्यक्ष पंडित गिरीश चन्द्र तिवारी ने कहा कि भारत युवाओं का देश है। हमारी युवा पीढ़ी को महाराणा प्रताप के आदर्श जीवन मूल्यों और नैतिक कर्तव्यों को आत्मसात करना होगा।
भाजपा जिलाध्यक्ष अन्तर्यामी सिंह ने कहा कि
ने कहा कि महाराणा प्रताप हमारे राष्ट्र के सच्चे सपूत, राष्ट्रभक्त तथा महान योद्धा थे।
उक्त कार्यक्रम को नगरपालिका अध्यक्ष देवरिया अलका सिंह,भूपेन्द्र शाही,श्रीराम सिंह,सन्दीप सिंह टिंकू,भूपेन्द्र सिंह ने भी सम्बोधित किया।
कार्यक्रम के संयोजक लार प्रमुख प्रतिनिधि अमित सिंह बबलू ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
संचालन विनोद बघेल ने किया।
कार्यक्रम में प्रधानसंघ अध्यक्ष आसनारायण सिंह,मुरली मिश्र,रूपेश श्रीवास्तव,अजय दूबे वत्स,सत्यप्रकाश सिंह,अशोक कुशवाहा,नंदलाल जायसवाल,जितेन्द्र सिंह,भोला सिंह,राजेश यादव,व्यासमुनि,रजनीश,विशाल,विकास,रितेश सिंह,राजेश शाह मौजूद रहे।

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