जागृति उद्यम केंद्र-पूर्वांचल के बरगद सभागार का एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रबंध निदेशक ने किया उद्घाटन

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देवरिया टाइम्स। जिले के बैतालपुर ब्लॉक के बरपार गांव में स्थित जागृति उद्यम केंद्र-पूर्वांचल (जेईसीपी) के वातानुकूलित बरगद सभागार का औपचारिक उद्घाटन एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक वाई विश्वनाथ गौड़ और रिजनल हेड-मार्केटिंग नृपेंद्र दीक्षित द्वारा किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन से हुई जिसके बाद जेईसीपी के अध्यक्ष शरत बंसल ने कहा कि एलआईसी एचएफएल ने जागृति केंद्र के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने सबसे पहले हमारी आर्थिक रूप से सहायता की। शहरों और अन्य इन्क्यूबेशन सेंटर की तुलना में हमने इस केंद्र को गांव में बहुत कम लागत में बनाया है। हम सिर्फ हवा में बात नही कर रहे हैं और एलआईसी की मदद से हम इस केंद्र को मूर्त रूप देने में सफल रहे।

कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों ने पूर्वांचल की क्रांति नाटक का मंचन किया, जिसके जरिए स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे और रानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को दर्शाया गया। इसके अलावा नाटक के जरिए उद्यमिता के महत्व और उसमें जागृति की भूमिका को दिखाया गया।

इसके बाद मुख्य अतिथि विश्वनाथ गौड़ ने जागृति की सराहना करते हुए कहा कि हम देश में अमृत काल का जश्न मना रहे हैं और जागृति भी आज अलग तरह से इसमें सहयोग कर रही है। आज के समय में कुछ ही ऐसी संस्था है जो पैसे को सही जगह लगाती है और जागृति उनमे से एक है और हम उनके उद्देश्य को पूरा करने और उसमें सपोर्ट के लिए हमेशा तैयार हैं।

कार्यक्रम के दौरान जागृति के संस्थापक शशांक मणि ने कहा कि उद्यमिता के माध्यम से हम बरगद क्रांति की शुरुआत कर चुके हैं और यह तब सफल होगी जब संवाद होगा। जब बुद्धीजीवी लोग यहां आएंगे और अपनी बात और अपने अनुभव साझा करेंगे। बरगद की कृपा से हमने 100 उद्यमी खड़े किए हैं। मैं ज्यादा नहीं कहता लेकिन इतना जरुर कहूंगा कि मैं आने वाले समय में देवरिया-कुशीनगर को बदलकर रहूंगा।

मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद मशहूर पत्रकार व लेखक अजीत भारती ने जागृति रेल यात्रा के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि मैं 2013 का यात्री हूं, यहां पर मैने जीवन के कुछ खास पलों का अनुभव किया है। जागृति यात्रा की वजह से मेरी जीवन में काफी बदलाव आया है। यात्रा से लेकर आज इस केंद्र को बनने तक के सफर को देखकर शशांक जी के व्यक्तित्व को यहां मौजूद बरगद के पेड़ का प्रतिरूप कहना गलत नहीं होगा। शशांक एक ऐसे व्यक्ति हैं जो रिवर्स माइग्रेशन की बात करते हैं।

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